poem
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मनमीत मेरे हरगिज…
मनमीत मेरे हरगिज होना कहीं न घायल कहीं धूप की तपन है कहीं नीर भरे बादल। सैलाब वक्त का है…
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Hello world.
मनमीत मेरे हरगिज होना कहीं न घायल कहीं धूप की तपन है कहीं नीर भरे बादल। सैलाब वक्त का है…
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