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आज का बदलता टेड

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अधिकांष लोग अब नहीं डरते। कुछ है जो डरते है। जिम्मेदारियाँ ढोने वाले लोग डरते है। सच तो यह कि जिम्मेदारी ढोने वाले लोग रहे ही नहीं। और जो हैं वे अपने दायरे में सिमट गए है। ससुराल और दोस्त के दायरे में। यह केवल रिष्तों में ही नहीं दिख रहा है, जिधर नजर दौड़ाओं उधर ही दिखने लगा है। किसी भी चीज की गारण्टी नहीं रही। कहीं साठ साल का बुजर्ग भी युवा हो गया है, तो कहीं पैतीस साल का बूढ़ा। उम्र का एक एक साल बढ़ता जाता है, और वे उल्टी गिनती गिन रहे हैं क्यों…? कल ही अपनी कम्पनी के बयालिस साल उम्र वाले एक सीनियर को बेहद कम जिम्मेदारी वाली जगह पर षिफ्ट किए जाते हुए देखा है। एक महत्वपूर्ण पद से षुभलक्ष्मी को हटाकर सलाहकार जैसी ठण्डी और गैर महत्वपूर्ण जगह पर डाल दिया गया है। षुभलक्ष्मी पाँच साल पहले ही आई थी, पर अब सर्वप्रिय देव उनकी जगह लेगी क्योंकि पाँच साल में ही ट्रेड कहाँ से कहाँ पहुँच गया है। षुभलक्ष्मी की आधुनिकता पाँच साल में पुरानी पड़ गई है। सर्वप्रिया का लक्ष्य सिर्फ दो साल का है।
क्या पता कल हो ना हो
कम्पनी में अभी अधिकांष पके बाल वाले बूढ़े नहीं हुए हैं। जोष जवानी भी बरकरार है परन्तु प्रतिस्पर्धा रूपी पट्टी आँखों पर इस कदर चढ़ी है कि मानवीय रिष्ते कोई मायने नहीं रखते। षुभलक्ष्मी युवा होते हुए भी बूढ़ी है और सर्वप्रिया बूढ़ी होने की कगार पर है। अभी अधिकांष पके बाल वाले बूढ़े नहीं हुए हैं पर यह परिवर्तन अलग ही है। जोष जवानी के नए पैमाने निर्धारित होने लगे है। षायद यह भी एक प्रकार की ग्लोबल परिवर्तन है, चोरी के लिए… एक ही आरी की तरह चले आ रहे हैं। षायद हम मर रहे है मानवीय विचारों को लेकर। हम इसीलिए बूढ़े नहीं, युवा सबसे ज्यादा पढ़ने वाले निकले। आर्थिक प्रतिस्पर्धा के नए बाजार ने असली ऊर्जा से ध्यान हटा दिया है। अतः वानप्रस्थ की अवधारणा बदल गई है। दीर्घ जीवन तो हाथ में है लेकिन सुन्दर जीवन नहीं।
बृद्धा आश्रम हमारे यहाँ अनाथालय से कम नहीं माने जाते और न्यक्लियर यानी एकल परिवार वास्तविकता बन चुके हैं। ऐसे दृंद की स्थिति देखते हुए युवा अचानक ठिठक जाता है। नए समय के तनाव उम्र को खतरे की तरह पेष करते हैं। आज मौज है लेकिन चालीस पार होते ही नई दुनिया आपको चलता कर देगी।
मैने उम्र को कभी गिना नहीं। जो कुछ अच्छा सामने आता है, मन को अच्छा लगता है अपना लेता हूँ। मेरे जैसे आज भी अनगिनत लोग हैं जो अभी भी खिचड़ी खाने वाले आदमी हैं। ईरानी रेस्टोरेन्ट की चाय अब भी मुझे उतनी ही आकर्ड्ढित करती है। पर यह जवानी और जोष दिल की बाते हैं। इनका उम्र से कोई ताल्लुक नहीं। जो हाथ में है वह मन से किए जाओ। नतीजा पीछे पीछे आता होगा/रहेगा।
टेªड पर टेªड बदलते जा रहे हैं। एक टेªड यह भी है कि चमक कैद कर लो, क्या पता कल हो ना हो? अब इसे कौन सा नाम दिया जाए। मेरे विचार से यह एक मरी हुई सोच है। चमक होना अच्छी चीज है पर हमेषा के लिए और सबके लिए। क्या पता कल हो ना हो के लिए नहीं। यही है जो हमें समाज से, परिवार से, रिष्तो से और मानवीय गुणों से बहुत दूर एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर कर रही है और फिर हम कहते है कि हमारा समाज कितना गन्दा हो गया है। सच तो यह है कि समाज नही ंहम गन्दे हो गए है। एक प्रकार से हम मनी माइंडेड हो गए हैं।
यह झूठा हर दिषा बदल देता है
जैसे झूठ इनकी मुट्ठी थम गई है। नई नई जनरेषन के ये रोल मॉडल उन्हें ज्यादा सुन्दर और युवा दिखने को प्रेरित करते हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ‘एजिंग फियर’ का सबसे पहला और प्रमुख कारण सामाजिक दबाव है। अक्सर यौवन और सुन्दरता एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं। यानी यदि आप खूबसूरत नहीं हैं तो युवा भी नहीं। और यदि आप युवा नहीं हैं तो खूबसूरत भी नहीं।
सामाजिक प्रतिड्ढ्ठा भी इससे जुड़ी है। कुछ खास पेषों, जैसे फिल्म इंडस्ट्री, फैषन जगत, मॉडलिंग, मार्केटिंग में जैसे यह अनिवार्य हो गया है। महत्वपूर्ण यह है कि इन क्षेत्रों को आजकल सर्वाधिक प्रतिड्ढ्ठा माना जाने लगा है। समृðि और सौन्दर्य ऐसे मिले हैं कि लोग हमेषा आकर्ड्ढण का पात्र बने रहना चाहते हैं या फिर चाहते हैं कि हमेषा उनकी खूबसूरती की तारीफ होती रहे, वे इस डर का जबर्दस्त षिकार होते हैं।
विषेड्ढज्ञों के अनुसार, मनुड्ढ्य को वह करना पसन्द नहीं जिससे उसे अच्छा महसूस न हो। षायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे सुन्दर दिखना नापसन्द हो। वह अपने चेहरे को सुन्दर बनाने वाले कैप्सूल या क्रीम पर भरपूर पैसा खर्च करता है। क्योंकि युवा दिखना चाहता है। ज्यादातर लोगों के लिए सुन्दरता ही युवा होने का पर्याय है।
समय के साथ कम पड़ती सुन्दरता भी ‘एजिंग फियर’ को प्रबल करती है। इस उम्र बाधा को दूर करने और खुद को आत्मसंतुड्ढ्टि पहुँचाने के लिए लोग तरह तरह के तरीके अपनाते हैं। वे किसी भी तरह से सुर्खियों में और लोगों के आकर्ड्ढण का पात्र बने रहना चाहते हैं।
उनके पास कहने को मिसालें हैं। अभिलेख डेमी मूर 43 वर्ड्ढ की हैं और उनके पुरुड्ढ मित्र एषटोन कुचर मात्र 25 साल के हैं। 32 साल की कैमिरॉन डियाज अपने से 18 वर्ड्ढ छोटे जस्टिन टिंचरलेक से प्रेम कर बैठी हैं।

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