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अयोध्या की इस लड़की ने काटा वनवास, 14 साल बाद हुआ परिवार से मिलन

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ये कहानी है अयोध्या की रहने वाली 25 साल की पूजा वर्मा की जो साल 2003 में गुम गई थी और 14 साल बाद अपने परिवार से मिली है।

मुंबई, पीटीआई। भगवान राम को मां कैकेयी ने 14 साल वनवास का आदेश दिया था और वो उस वनवास को पूरा करके घर पहुंचे थे। भगवान राम की तरह एक लड़की ने भी 14 साल का वनवास काटा और अब जाकर अपने घर पहुंची है। लेकिन इस लड़की को किसी ने आदेश नहीं दिया था, बल्कि किस्मत वो किस्मत की मारी थी।

ये कहानी है अयोध्या की रहने वाली 25 साल की पूजा वर्मा की जो साल 2003 में गुम हो गई थी और 14 साल बाद अपने परिवार से मिली है। दरअसल पूजा जब छोटी थी तब वह अयोध्या रेलवे स्टेशन पर अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। खेलते खेलते वह मुंबई की ओर जाने वाली ट्रेन पर चढ़ गई और अपने घर से दूर हो गई।

मुंबई पहुंचने पर पुलिस की नजर इस लड़की पर पड़ी और पूछताछ के बाद इसको नेरूल के अनाथालय भेज दिया। अनाथालय पहुंचने के बाद पूजा का एडमिशन स्कूल में करा दिया गया और साल 2009 में वह खुद के पैरों पर खड़ी हो गई। पूजा को सहारा देने वाले नितिन और सुनीता गायकवड़ ने जब इसकी कहानी सुनी तो उन्होंने मदद करने की ठान ली।

नितिन गायकवड़ ने बताया कि उसे अपने घर से जुड़ी हुई हर चीज याद थी, जैसे उसके पिता का नाम सुबोध वर्मा था, उसकी मां का नाम मीरा था, भाई का नाम आलोक था, उसका घर सरयू किनारे था, उसके पिताजी की कैसेट्स की दुकान हुआ करती थी। इन जानकारियों का सहारा लेकर उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस से मदद मांगी। जब यूपी पुलिस से मनचाही मदद नहीं मिली तो उन्होंने किसी जरिए से लखनऊ में आतंक विरोधी दस्ते के संतोष तिवारी से बात की।

संतोष ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खोजबीन शुरू कर दी। इन सब के बीच पूजा ने ये तय किया कि वह अपनी पुरानी यादों के सहारे खुद ही अयोध्या जाकर अपने परिवारवालों को तलाशेगी। 5 नवंबर को पूजा अयोध्या पहुंची और सरयू नदी के किनारे घरवालों की खोज शुरू कर दी।

काफी मशक्कत के बाद पूजा ने नया घाट पर अपने घर की पहचान कर ली। इस बीच पूजा ने नितिन को फोन करके बताया कि आखिरकार उसने अपने परिजनों को ढूंढ ही निकाला। पूजा से मिलने के बाद उसके पिता ने बताया कि उन्होंने उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की पर सारी कोशिशें बेकार गईं। चूंकि सरयू नदी भी हमारे घर के नजदीक है तो लोगों ने कहा कि हो सकता है कि वो इस नदी में बह गई हो। लेकिन आज पूजा को सही सलामत देखकर बहुत खुशी हो रही है, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

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