चीन कभी भारत को विनाशकारी नतीजे भुगतने की धमकी दे रहा है तो कभी 1962 की लड़ाई से सीख लेने की बात कह कर इशारों में ही इतिहास की पाठ पढ़ा रहा है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आज भारत और चीन के बीच स्थिति इस कदर बिगड़ गई है, जिसके बाद ऐसा कह पाना मुश्किल है कि अब दोनों देशों के बीच का यह रिश्ता क्या मोड़ लेगा। चीन लगातार भारत को धमका रहा है और अपनी शर्तें मनवाने की कोशिश कर रहा है। कभी वह भारत को विनाशकारी नतीजे भुगतने की धमकी दे रहा है तो कभी 1962 की लड़ाई से सीख लेने की बात कहकर इशारों में ही इतिहास का पाठ पढ़ा रहा है।
चीन के रुख से असमंजस में भारत लेकिन, सबसे हैरान करने वाला चीन का रवैया हफ्तेभर से देखने को मिला है जो न सिर्फ परेशानी पैदा कर रहा है बल्कि यह भी सवाल उठ रहा है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि चीन अपने पड़ोसी भारत की इस कदर खिलाफत पर उतर आया है। ये बात यहां इसलिए उठ रही है क्योंकि इससे पीछे कज़ाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी और सबकुछ सामान्य सा दिख रहा था। राजनीतिक जानकारों की मानें तो चीन के ताजा रुख का एक नहीं कई कारण हैं।
आर्मी चीफ का चीन पर क्या था बयान? सबसे पहले आइये आपको बताते है आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने ऐसा क्या कह दिया था जो बात चीन को बेहद नागवार गुजरी है। दरअसल, बिपिन रावत ने पिछले दिनों कहा था कि भारतीय सेना ढाई मोर्चे पर जंग के लिए तैयार है। उनके कहने का मतलब था कि भारतीय सेना अपने पड़ोसी पाकिस्तान और चीन के साथ ही आंतरिक चुनौतियों से निपटने में भी पूरी तरह से सझम है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन ने इसे अपने लिए भड़काऊ बयान मान लिया है। चीन ने जहां भारत के सामने बातचीत के लिए सिक्किम के डोंगलांग (डोकलुम) से भारतीय सैनिकों को हटाने की शर्त रखी है तो वहीं सिक्किम में जारी गतिरोध को लेकर चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना पर चीन के क्षेत्र में अवैध तरीके से घुसने का आरोप लगाया है।
हालांकि, Jagran.com से खास बातचीत में रक्षा मामलों के जानकार और पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान ने बताया कि चीन भले ही आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान को उकसावेपूर्ण माने, लेकिन रावत ने ऐसा बयान सेना के मनोबल को उठाने के लिए दिया था। ऐसे में किसी देश को अपने प्रति ऐसा नहीं मानना चाहिए था।
सिक्किम का डोंगलांग क्यों है भारत के लिए अहम
चीन के ताजा विवाद पर जनरल राज कादयान का मानना है कि इस पूरे विवाद की असली वजह भूटान का सीमा क्षेत्र डोंगलांग है, जिस पर चीन की टेढ़ी नजर। उन्होंने बताया कि यह पूरा विवादित इलाका भूटान का है। लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि भूटान की विदेश नीति भारत ही तय करता रहा है। इस इलाके में चीन अपना कब्जा करना चाहता है। राज कादयान का कहना है कि अगर चीन ने इस पर अपना कब्जा कर लिया तो भारत का सिलिगुड़ी कॉरिडोर नॉर्थ ईस्ट से कट जाएगा।
कहां पर है डोंगलांग और क्या है विवाद इस वक्त भारत और चीन के बीच सिक्किम में विवाद ने जिस तरह का रुख लिया है, उसकी सबसे बड़ी वजह भारत के लिए भू-सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जमीन का वह टुकड़ा माना जा रहा है, जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से जाना जाता है। चीन की कोशिश इस क्षेत्र में भारत को पूरी तरह से घेरने की है। इसलिए, चीन की कोशिश सिक्किम-भूटान और तिब्बत के मिलन बिंदु स्थान (डोका ला) तक अपनी सड़क बनाना है। इस पर भारत ने अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर की है। इस सड़क का निर्माण चीन, भूटान के डोकलाम पठार में कर रहा है।
चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र में अधिकार को लेकर विवाद है। चीन इस पूरे इलाके को डोंगलांग कहता है और शुरू से ही इसे अपना हिस्सा बताता आ रहा है। इसलिए चीन वहां पर अपनी सेना के गश्ती दलों को भी भेजता रहता है। चीन की कोशिश डोकलाम से डोका ला तक सड़क बनाकर दक्षिण तिब्बत के चुंबी घाटी तक अपनी पैठ को बढ़ाना है। ये घाटी हंसिए की तरह है जो सिक्किम और भूटान को अलग करती है।
फौरन ही चीन बात नहीं हुई तो बिगड़ेंगे हालात Jagran.com से खास बातचीत में चीन मामलों की जानकार और इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज की प्रोफेसर अलका आचार्य ने बताया कि आज जिस तरह से चीन के साथ अचानक रिश्ते बिगड़े हैं उसे फौरन ठीक करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि चीन के साथ बिगड़े रिश्तों की कोई एक वजह नहीं है, बल्कि ओबीओआर से लेकर पाकिस्तान के प्रति भारत का रवैया ऐसे तमाम कारण हैं। ऐसे में तात्कालिक कारण भले ही कुछ भी हों, लेकिन इस विवाद को फौरन खत्म करने की लिए पहल की जरूरत है। अलका ने आगे कहा कि अगर जल्द ही सेक्रेटरी या फिर ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर की बातचीत नहीं हुई तो चीन का साथ बढ़ती तनातनी कोई भी मोड़ ले सकती है।
चीन के बौखलाने की क्या है असली वजह लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान मानते हैं कि आज जिस तरह से चीन बौखलाया हुआ है, उसे कई परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। भारत ने सबसे पहले अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताकर चीन के अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ओबीओआर में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा, पाकिस्तान को बाइपास कर भारत पड़ोसी देश अफगानिस्तान से सीधे जुड़ने के लिए एयर फ्रेट कॉरिडोर बना रहा है। इतना ही नहीं, जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ नरेन्द्र मोदी ने रिश्तों में गर्मजोशी दिखाई, वह भी चीन को परेशान करनेवाली है।
भारत-अमेरिका दोस्ती को क्यों खतरा मानता है चीन
राज कादयान का कहना है कि आज जिस तरह से भारत और अमेरिका पिछले कुछ वर्षों से लगातार करीब आ रहे हैं, ये बात चीन की आंखों में खटक रही है। चीन किसी भी कीमत पर नहीं चाहता है कि अमेरिका को भारत का ऐसा समर्थन मिले। इतना ही नहीं, चीन लगातार दक्षिण चीन सागर पर अपना एकाधिकार जता रहा है। लेकिन, अमेरिका ने उसका खुलेआम विरोध किया है। ऐसे में दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका और जापान के साथ भारत का आना दक्षिण एशिया में चीन के लिए मुश्किल खड़ी करने वाला कदम है। यही वजह है कि चीन अपने लिए भारत और अमेरिकी की दोस्ती को बड़ा खतरा मान रहा है।