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50 Years: रिलीज़ के एक हफ़्ते बाद बदला गया था राजेश खन्ना की इस फ़िल्म का Climax


मुंबई। राजेश खन्ना जैसा सुपरस्टार किसी दूसरे एक्टर ने नहीं देखा, मगर इस स्टारडम से पहले उन्हें भी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उन्हीं संघर्ष के दिनों में रिलीज़ हुई राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘बहारों के सपने’ ने आज (23 जून) को 50 साल का सफ़र पूरा कर लिया है। फ़िल्म आज ही के दिन 1967 में रिलीज़ हुई थी।
‘बहारों के सपने’ को आमिर ख़ान के अंकल नासिर हुसैन ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया था, जो उस दौर के बड़े फ़िल्ममेकर्स में शामिल थे। 1967 में राजेश खन्ना की तीन फ़िल्में रिलीज़ हुई थीं। ‘राज़’ 5 मई को, ‘औरत’ 16 जून को और बहारों के सपने 23 जून को। बहारों के सपने एक ऐसे नौजवान की कहानी थी, जिसे उसके पिता ने पेट काटकर पढ़ा-लिखा तो दिया, मगर ग्रेजुएशन के बाद उसे नौकरी नहीं मिलती। इस फ़िल्म के बारे में सबसे मशहूर क़िस्सा है इसका क्लाइमेक्स बदलना।
नासिर हुसैन ने इसका क्लाइमेक्स ट्रैजिक रखा था, मगर पहले हफ़्ते में जब फ़िल्म नहीं चली, तो जनता की मांग पर दूसरे हफ़्ते में क्लाइमेक्स बदल दिया गया। इस बार फ़िल्म को हैप्पी एंडिग दी गयी थी। ‘बहारों के सपने’ ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्म थी, मगर इसका एक गाना ‘क्या जानूं सजन’ कलर रखा गया था।
फ़िल्म में नासिर साहब की फ़ेवरिट एक्ट्रेस आशा पारेख ने फ़ीमेल लीड रोल निभाया था, जबकि प्रेम नाथ और राजेंद्र नाथ सपोर्टिंग किरदारों में नज़र आये थे। फ़िल्म का संगीत न्यू कमर आरडी बर्मन ने दिया था, जबकि गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे।
राजेश खन्ना और आशा पारेख की जोड़ी ने पहली बार इसी फ़िल्म में साथ काम किया था और इसके बाद ‘कटी पतंग’ और ‘आन मिलो सजना’ जैसी फ़िल्में दीं।