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राष्ट्रपति पद पर आमने सामने हुए मीरा कुमार और कोविंद, जानिए इनकी मजबूती

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नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है। एनडीए की तरफ से जहां बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम आगे बढ़ाया गया और उनका राष्ट्रपति भी बनना करीब तय माना जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृ्त्व में विपक्षी दलों ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को उतारने का फैसला किया है। मीरा कुमार के राष्ट्रपति चुनाव में उतरने के बाद सियासी रोमांच पैदा हो गया है।

हालांकि, मीरा कुमार को विपक्षी दलों की तरफ से उतारना एक सांकेतिक विरोध ही माना जा रहा है क्योंकि एनडीए के पास राष्ट्रपति बनाए जाने के लिए जरूरी आंकड़े मौजूद है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि रामनाथ कोविंद के मुकाबले में विपक्ष को मीरा कुमार को क्यों उतारना पड़ा? क्या है इन दोनों की मजबूती जिसके आधार पर सत्ता और विपक्ष दोनों ही तरफ से इन दोनों का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया गया है?

दलित चेहरा

रामनाथ कोविंद कानपुर के रहनेवाले है और भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा दलित चेहरा हैं। ऐसा माना गया कि एनडीए ने रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति के लिए आगे बढ़ाकर जहां कुछ राज्यों में पिछले कुछ महीनों से नाराज चल रहे दलितों को साधने की कोशिश की गई तो वहीं दूसरी तरफ देश में एक अलग संदेश देने की कोशिश हुई है।

जबकि, मीरा कुमार भी कांग्रेस की तरफ से एक बड़ा दलित चेहरा हैं। एनडीए के दलित चेहरे के काट के तौर पर पहले से ही माना जा रहा था कि विपक्षी दल कोई ऐसा चेहरा उतारेंगे जिससे इस बात का संदेश ना जाए कि उन्होंने एनडीए की तरफ से उतारे गए दलित चेहरे का विरोध किया है।

सौम्य स्वभाव
एक तरफ जहां रामनाथ कोविंद एनडीए का गैर विवादास्पद नेता है तो वहीं दूसरी तरफ ठीक यही बात मीरा कुमार के पक्ष में भी जाती है। मीरा कुमार मृदुभाषी मानी जाती है और राजनीतिक विवादों से दूर रहना पसंद करती हैं।

राजनीतिक करियर

रामनाथ कोविंद-

कोली जाति से ताल्लुकात रखनेवाले रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में तीसरे प्रयास में पास कर ली थी। रामनाथ कोविंद ने वकालत की उपाधि लेने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की शुरूआत की। 1977 से लेकर 1979 तक तक वह दिल्ली हाईकोर्ट में सरकारी वकील रहे। वह दो बार भाजपा से राज्यसभा के सासंद भी रहे। उन्हें साल 2015 के अगस्त महीने में बिहार का रा्ज्यपाल बनाया गया था। कोविंद साल 1991 में भाजपा में शामिल हुए और 1994 में यूपी से राज्यसभा निर्वाचित किए गए। साल 2000 में एक बार फिर से उन्हें राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया। वह भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।

मीरा कुमार

जबकि, कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में से एक मीरा कुमार पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं। मीरा कुमार साल 1973 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुई। वे कई देशों में नियुक्त रहीं और बेहतर प्रशासक साबित हुईं। मीरा कुमार पहली महिला स्पीकर के तौर पर 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गई थीं। मीरा कुमार ने राजनीति में प्रवेश 80 के दशक में किया। 1975 में पहली बार वह बिजनौर से संसद में चुनकर आयी। उसके बाद 1990 में वह कांग्रेस पार्टी का कार्यकारिणी समिति की सदस्य और अखिर भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव भी चुनी गी। 1996 में मीरा कुमार दूसरी बार सांसद बनीं और तीसरी बार 1998 और 2004 में बिहार के सासाराम से लोकसभा सीट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंची। यूपीए-1 की सरकार में वह मंत्री बनीं और उन्हें सामाजिक न्याय मंत्रालय का जिम्मा दिया गया। जीएमएसी बालयोगी के बाद वे दूसरी दलित नेता है जो स्पीकर के पद तक पहुंचीं।

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